चुनाव (choice)
कौन कहता है कि हम
हर बीतते पल के साथ मिट रहे हैं
मुझे तो हर बीतता पल बना रहा है
हर घडी में कुछ चुन रही हूँ
और यही चुनाव मुझे बनाता जा रहा है
मैं चुनाव करती हूँ खुद को व्यक्त करने का
मेरा हर चुनाव मेरे व्यक्तित्व का आईना है
मैं क्या कहती हूँ ,कैसे कहती हूँ
क्या करती हूँ कैसे करती हूँ
कैसे लोगों में उठती बैठती हूँ
क्या सुनती हूँ ,क्या बोलती हूँ
कैसी तस्वीरें बनाती हूँ
क्या गाती हूँ
क्या लिखती हूँ
क्या पढ़ती हूँ
कैसा खाती हूँ
क्या बनाती हूँ
कैसा व्य्वहार रखती हूँ
कैसे जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करती हूँ
सुख और दुःख में कैसी प्रतिक्रिया देती हूँ
हर फिसलते पल के साथ मैं इन सब का चुनाव
अपनी सोच और संस्कारों के मुताबिक करती हूँ
हर पल मुझ में अनुभव जुड़ता जा रहा है
जो ना सिर्फ मुझे पूरा कर रहा है
अपितु मुझे मेरे जीवन उद्देश्य की तरफ धकेल रहा है
तो क्यों न मैं अपना हर चुनाव
ईमानदारी और समझदारी से करूँ
कि यही चुनाव मेरा कर्मों का खाता बना रहा है
और अगले जन्म तक मेरा साथ निभाएगा